ट्रांज़िस्टर (Transistor)
ट्रांज़िस्टर क्या है तथा इसके कितने प्रकार होते है ?
यह दो जंक्शन तथा तीन टर्मिनल वाली युक्ति है इसे सिलिकॉन तथा जर्मेनियम पदार्थों में तीन संयोजकता या पांच संयोजकता वाली अशुद्धियों की डोपिंग करके बनाया जाता है दो जंक्शन होने के कारण इसे द्वी- ध्रुवी जंक्शन ट्रांज़िस्टर (Bipolar Junction Transistors या BJT) भी कहा जाता है विलियम शोकले ( William Shokley) ने 1951 में जंक्शन ट्रांज़िस्टर का अविष्कार किया ! ट्रांज़िस्टर में तीन अर्द्धचालक खंड होते है जो निम्न प्रकार है !
(1) ऊत्सर्जक (Emitter)- ऊत्सर्जक ट्रांज़िस्टर की एक परत होती है जो आधार (Base) के बायीं ओर होती है यह परत आधार से बड़ी तथा ग्राहक(Collector) से छोटी होती है ऊत्सर्जक कि डोपिंग उच्च होती है तथा यह ट्रांज़िस्टर के चालन के लिए अधिसंख्यक आवेश वाहक प्रदान करता है यह आधार के साथ मिलकर जो PN संधि का निर्माण करता है उसे ऊत्सर्जक-आधार संधि ( Emitter-Base Junction ) कहते है इसमें बहुसंख्य होल्स होते है तथा ऊत्सर्जक से निकलने वाले टर्मिनल को "E" से प्रदर्शित करते है !
(2) आधार (Base)- यह ट्रांज़िस्टर की मध्य परत होती है यह बहुत पतली परत के रूप में होती है जिसकी मोटाई 0.0025 CM होती है इस परत को हल्की डोपिंग करके बनाया जाता है आधार के बांयी ओर ऊत्सर्जक(Emitter) तथा दाहिनी ओर ग्राहक (Collector) की परत होती है आधार से प्राप्त होने वाले टर्मिनल को "B" से प्रदर्शित करते है !
(3) ग्राहक (Collector)- ट्रांज़िस्टर में आधार के दाहिनीं वाली परत ग्राहक होती है जिसमे इलेक्ट्रॉन होते है इसकी डोपिंग ऊत्सर्जक से कम तथा आधार से बहुत अधिक होती है ग्राहक आधार परत के साथ मिलकर जिस PN जंक्शन का निर्माण करता है उसे ग्राहक- बेस जंक्शन (Collector-Base Junction) कहते है ग्राहक से निकलने वाले टर्मिनल को "C" से प्रदर्शित करते है !
ट्रांज़िस्टर दो प्रकार का होता है !
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