Connections of resistance

Connection of Resistor (प्रतिरोधों का संयोजन)
किसी विधुत परिपथ को बनाते समय उसमे भिन्न - भिन्न मान के  प्रतिरोध की आवश्यकता पड़ती है! कई बार परिपथ को बनाते समय विशेष (Specific) मान का प्रतिरोध उपलब्ध नहीं होता! तो इस समस्या को दूर करने के लिए जो प्रतिरोध उस समय उपलब्ध होता है उनको श्रेणी क्रम या समांतर क्रम मे संयोजित (Connection) करके उस विशेष मान का या उसके तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कर लेते है जो उस परिपथ के लिए चाहिए ! इसलिए प्रतिरोधों के संयोजन(Connection) की आवश्यकता पड़ती है! 
प्रतिरोधों का संयोजन हम दो विधियों द्वारा कर सकते है जो निम्न है !  
1-  Series Connection (श्रेणीक्रम)       
2- Parallel Connection ( समान्तर क्रम )   

(1)- Series Connection (श्रेणीक्रम)
 प्रतिरोधों मे दो टर्मिनल या दो सिरा होता है जब हम कई प्रतिरोधो को एक के बाद एक  लाइन मे जोड़ते है! तो यह प्रक्रिया श्रेणी क्रम संयोजन कहलाती है !अर्थात एक प्रतिरोध का सिरा, दूसरे प्रतिरोध के एक सिरे से तथा इस प्रतिरोध का दूसरा  सिरा तथा अगले प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़ा रहता है जैसा की चित्र मे दिखया गया है! 
यंहा- R(total)=  R1+R2+R3+R4

जब एक से अधिक प्रतीरोध श्रेणी क्रम मे संयोजित होते है तो विधुत परिपथ से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा श्रेणी क्रम मे संयोजित प्रतिरोधों मे प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के योग के बराबर होती है !

नीचे जो चित्र दिया गया है उसमे R1, R2, R3 प्रतिरोधो को श्रेणी क्रम मे संयोजित (Connect) कर एक Battary से जोड़ा गया है जिसका कुल विभवान्तर V वोल्ट है! श्रेणी क्रम मे संयोजित इन प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का मान निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है -
माना प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर क्रमश: V1, V2, V3 है तो ओम के नियमानुसार 

V1 = iR1 

V2 = iR2

V3 = iR3

   V1+V2+V3 = iR1+iR2+iR3 

                                                              V = (iR1+iR2+iR3)     चूंकि  V = V1+V2+V3 
   
                                                              V/I = (R1+R2+R3)                 R =  (R1+R2+R3)

                                V/i = R (Total of Resistance)

श्रेणी  क्रम  संयोजन मे प्रतिरोधो को जोड़ने पर समतुल्य प्रतीरोध का मान बढ़ जाता है ! 

उदाहरण के लिए दो रजिस्टेंस R1 और R2 है। जो श्रेणी क्रम मे संयोजित है जिसमें एक की मान  7Ω है और दूसरे की मान 13 Ω है अब इस परिपथ मे संयोजित किए गए रजिस्टेंस की कुल मान क्या होगी ?

(R1+R2)=R

(7+13)=20 Ω 

इस सर्किट में 60 वोल्ट की सप्लाई दी जाए तो इस सीरीज सर्किट में बहने वाली करंट की वैल्यू को इस फार्मूले से निकालेंगे . 
ओम के नियम के अनुसार 
 I =V/R        

 I=V/R  (V=60, R=20)

I=3Amp   

तो इस प्रकार इस सीरीज में 3 एम्पेयर का करंट बह रही है।
 

                         2- Parallel Connection ( समान्तर क्रम ) 

जब एक से अधिक प्रतिरोधों को समान्तर क्रम मे इस प्रकार संयोजित किया जाए की उसमे बहने वाली करंट सभी प्रतिरोधों मे समान मात्रा मे प्रवाहित हो ! तो इस प्रकार के संयोजन को समान्तर क्रम कहते है जैसा की चित्र मे प्रदर्शित किया गया है !   


जैसा चित्र से स्पष्ट है की प्रतिरोध R1, R2, R3 के पहले सिरे को आपस मे जोड़कर जंक्शन A, तथा प्रतिरोध के दूसरे सिरे को आपस मे जोड़कर जंक्शन B बनाया गया है ! जंक्शन A तथा B को एक बैटरी से जोड़ दिया गया है !

माना प्रतिरोध R1, R2, R3 में क्रमशः i1, i2i3 धारा प्रवाहित हो रही होती है तब ओम के नियमानुसार-

i1  =  V/R1
i2  = V/R2
 i3  =  V/R3
 कुल धारा i = i1i2+i3      
                            i = V/R1+ V/R2+V/R3
                                                           i = V(1/R1+1/R2+1/R3)........................(1)
माना ऐसा प्रतिरोध जो विभवान्तर V लगाने से i धारा प्रवाहित किया जाए ! माना यह प्रतिरोध R है तो यह प्रतिरोध समतुल्य प्रतिरोध कहा जाता है तब -
                         V = iR.........................(2)
i = V/R
                                                                   V/R = V(1/R1+1/R2+1/R3)...........समीकरण (1) व (2) से 
1/R= 1/R1+1/R2+1/R3 

*समान्तर क्रम संयोजन मे प्रतिरोधो को जोड़ने पर समतुल्य प्रतीरोध का मान कम हो  जाता है !





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1 Comments

Unknown said…
good work sir..