Inductor(प्रेरक) क्या है ?
Inductor इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रीकल परिपथ का महत्वपूर्ण युक्ति है यह एक निष्क्रिय (Passive) युक्ति है इसका उपयोग परिपथ में विधुत फिल्ट्रेशन, सिग्नल को बूस्ट करने के लिये किया जाता है !
यह एक तार (Wire) होता है जिसे एक सुचालक पदार्थ के ऊपर कुण्डली नुमा गोल-गोल लपेटकर बनाया जाता है इस सुचालक पदार्थ को कोर कहते है ये सुचालक पदार्थ ताम्बा, एल्युमिनियम, लोहा आदि से बनाया जाता है !
यह दो टर्मिनल वाली युक्ति है इसे साधारण भाषा मे चोक (Choke) भी कहते है इसे मापने की इकाई हेनरी (Henry) होती है!
जब Inductor से कोई ऐसी विधुत धारा प्रवाहित हो रही है जो समय के साथ परिवर्तित होती रहती है तो Inductor में फैराडे के विधुत चुम्बकीय प्रेरण सिद्धांत के अनुसार विधुत वाहक बल (E.M.F) उत्पन्न हो जाता है जो इस परिवर्तन का विरोध करता है तथा Inductor के चारो तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है इस चुम्बकीय क्षेत्र में विधुत धारा चुम्बकीय रूप में संग्रहित हो जाती है !
प्रेरकत्व(Inductance)-
Inductor में विधुत धारा को संग्रहित करने की क्षमता को प्रेरकत्व (Inductance) कहते है!
Inductance कुंडलियो की संख्या या फेरो की संख्या पर निर्भर करता है ! अर्थात Inductor में कुण्डलियों की संख्या जितनी ज्यादा होगी उसका Inductance भी उतना ही ज्यादा होगा यदि कुंडलियो की संख्या कम है तो उसका Inductance भी उतना ही कम होगा ! Inductor का Inductance तार (Wire) के क्षेत्रफल, लम्बाई और मोटाई के अनुसार प्रभावित होता है ! इसे ( L) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है!
L = V / dt / di
जहाँ-
L = प्रेरक का प्रेरकत्व
V = प्रेरक में बहने वाली वोल्टेज
di/dt = प्रेरक में बहने वाली करंट की वर्तमान परिवर्तन की दर
प्रेरक के प्रकार ( types of inductor)
प्रेरकों को उनकी बनावट के आधार पर निम्न प्रकार के होते है !
(1) आयरन कोर प्रेरक-
इस प्रकार के प्रेरक की कोर मूल रूप से लोहे की बनी होती है तथा इस लोहे की कोर पर तार की वाइंडिंग की करके प्रेरक का निर्माण किया जाता है इस प्रकार के प्रेरक में उच्च शक्ति और उच्च इंडक्शन वैल्यू होती है इन प्रेरक का उपयोग ऑडियो उपकरण में व्यापक रूप से किया जाता है
(2) एयर- कोर प्रेरक-
एयर कोर प्रेरक में कोई भी कोर नही होती है इसलिए इसमें कोर हानि का नुकसान नही होता ! ये सिर्फ तार को कॉपर की तार को गोल घुमाकर बनाया जाता है इस प्रकार के प्रेरक में घुमावो की संख्या अधिक होनी चाहिए ! सेरेमिक प्रेरक को एयर -कोर प्रेरक के रूप में जाना जाता है !
(3) लौह चूर्ण प्रेरक-
इस तरह के प्रेरक में कोर आयरन ऑक्साइड की बनी होती है जो शुद्ध लौह चूर्ण के बहुत बारीक या महीन और रोधक कणो से बने होते है एयर गैप के कारण इसमें हाई- मेग्नेटिक फ्लक्स स्टोर किया जा सकता है इस प्रकार के प्रेरक की कोर की पारगम्यता बहुत कम होती है इसका उपयोग मुख्य रूप से बिजली की आपूर्ति स्विच करने में किया जाता है !
(4) फेराइट कोर प्रेरक-
इस प्रकार के प्रेरक में कोर फेराइट की बनी होती है तथा फेराइट के ऊपर कॉपर की तार को लपेटकर बनाया जाता है ! फेराइट कोर एक प्रकार का चुम्बकीय कोर होता है जिस पर घटको की वाइंडिंग करके बनाया जाता है इसका उपयोग कम विद्युत चालकता के साथ उच्च चुम्बकीय पारगम्यता के गुणों के लिए किया जाता है
Connections of inductor ( प्रेरको का संयोजन)
प्रेरको का संयोजन दो विधि द्वारा किया जाता है जो निम्नलिखित प्रकार से है !
1) समानांतर क्रम में संयोजन
यदि एक से अधिक प्रेरको को समानांतर क्रम में संयोजित किया जाए तो इस प्रकार के संयोजन को समानांतर संयोजन कहते है अर्थात यदि एक प्रेरक का पहला टर्मिनल, दूसरे प्रेरक के पहले टर्मिनल से जोड़ दे तथा पहले प्रेरक का दूसरा टर्मिनल, दूसरे प्रेरक के दूसरे टर्मिनल से जोड़ दे तो इस प्रकार का संयोजन समानांतर संयोजन कहलाता है समानांतर संयोजन में इंडक्टर का प्रभावी प्रतिरोध कम हो जाता है तथा इसी प्रकार प्रेरक का प्रभावी इंडक्शन भी कम हो जाता है!
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