संधारित्र (Capacitor) किसे कहते है ?

संधारित्र(Capacitor) क्या होते है! और यह कितने प्रकार के होते है !

संधारित्र(Capacitor)- वह युक्ति है जिसका प्रयोग परिपथ में विद्युत ऊर्जा को संग्रह(Store) करने के लिए प्रयोग किया जाता है यह दो टर्मिनल वाली युक्ति है दो चालक प्लेटो के मध्य कोई कुचालक पदार्थ जैसे कागज, माइका, पॉलीथीन इत्यादि को रख कर बनाया जाता है ! जब दोनों टर्मिनल पर विधुत धारा आरोपित किया जाता है तो संधारित्र में विधुत धारा संग्रहित हो जाती है जिसे आवश्यकतानुसार परिपथ में प्रवाहित कर देता है संधारित्र दिष्टधारा को रोक कर A.C  धारा को पास कर देता है यह एक छोटी बैट्री की भांति कार्य करता है ! Michael Faraday के नाम पर इसका मात्रक फैराडे रखा गया !

        


धारिता(Capacitances)-  संधारित्र में विधुत धारा को संग्रह करने की क्षमता को संधारित्र की धारिता कहते है ! धारिता को कम - ज्यादा करना संधारित्र के प्लेटो के बीच की दूरी तथा कुचालक पदार्थ पर निर्भर करता है संधारित्र का S.I मात्रक फैराडे है ! इसे (F) से प्रदर्शित करते है तथा धारिता को (C) से प्रदर्शित किया जाता है !

धारिता का सूत्र-

C=Q/V                       

C= संधारित्र की धारिता

Q= विधुत आवेश 

V= विभवांतर

संधारित्र का संयोजन (Connection of Capacitor})-

संधारित्र का संयोजन दो प्रकार से किया जाता है जो निम्न प्रकार से है -

(1) सीरीज़ संयोजन (Series Connection)- इस विधि में दो या दो से अधिक संधारित्र को एक सीरीज में जोड़ा जाता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है -



जब एक संधारित्र की ऋणात्मक प्लेट दूसरे संधारित्र की धनात्मक प्लेट से जोड़ी जाती है तो इस प्रकार के संयोजन को संधारित्र का श्रेणी क्रम कहते है 

चित्र में प्रदर्शित संधारित्रो की धारिता क्रमशः C1, C2, C3, C4 है तथा प्रत्येक संधारित्र के आर-पार विभवांतर V1, V2, V3  तथा V4 है सभी संधारित्रो पर आरोपित वोल्टता V वोल्ट तथा तुल्य मान धारिता C है ! श्रेणी क्रम में जुड़े संधारित्रो का आवेश समान होता है तथा विभवांतर भिन्न- भिन्न होता है 

माना चित्र में प्रदर्शित प्रत्येक संधारित्रो पर आवेश Q है -

V = V1 + V2 + V3 + V4

Q/C = Q/C1 + Q/C2 + Q/C3 + Q/C4

1/C = 1/C1 + 1/C2 + 1/C3 + 1/C4

सम्पूर्ण परिपथ पर आवेश/ परिपथ के आर-पार विभवांतर

C = Q/V  या 1/C = V/Q


(2) समांतर क्रम में संयोजन ( Connection in Parallel)

जब दो या दो से अधिक संधारित्र की धनात्मक प्लेट को विधुत के धनात्मक सिरे से तथा संधारित्र की ऋणात्मक प्लेट को विधुत के ऋणात्मक सिरे से संयोजित करते है तो इस प्रकार के संयोजन को समांतर संयोजन कहते है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है ! 


चित्र में प्रदर्शित संधारित्रो पर आवेश क्रमशः Q1, Q2, Q3, तथा Q4 है !

संधारित्रो की धारिता क्रमशः C1, C2, C3, तथा C4 है !

संधारित्रो की तुल्य धारिता C फैरड है 

संधारित्रो की वोल्टता V वोल्ट है 

समांतर क्रम में प्रत्येक संधारित्र की वोल्टता बराबर होती है तथा आवेश भिन्न - भिन्न होता है 

Q = Q1 + Q2 + Q3 + Q4

*Q = CV

CV = C1V + C2V + C3V + C4V

C = C1 + C2 + C3 + C4 



संधारित्र के प्रकार

कार्य के आधार पर संधारित्र दो प्रकार के होते है!

(1).  स्थिर संधारित्र (Fixed Capacitor)- वे संधारित्र जिनका मान स्थिर होता है अर्थात जिनका मान परिपथ में घटाया - बढ़ाया नही जा सकता ! ये ध्रुवीय आधार पर दो प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार से है !  


(A). ध्रुवीय संधारित्र (Polar Capacitor)-

इस प्रकार के संधारित्र में धनात्मक तथा ऋणात्मक ध्रुवीयता (Polarity) होती है  इसमे दो टर्मिनल होते है जिसमे से एक टर्मिनल धनात्मक तथा दूसरा टर्मिनल ऋणात्मक होता है परिपथ में उपयोग करते समय इनका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है परिपथ में संधारित्र का धनात्मक टर्मिनल परिपथ के धनात्मक सिरे से तथा संधारित्र का ऋणात्मक टर्मिनल परिपथ के ऋणात्मक सिरे पर ही संयोजित करना चाहिए !

जैसे- एलेक्ट्रोलयटिक संधारित्र 

(B). अध्रुवीय संधारित्र (Non-Polar Capacitor)- वे संधारित्र जिनमे ध्रुवीयता नही होती अर्थात जिनमे धनात्मक तथा ऋणात्मक ध्रुव नही होते है उन्हें अध्रुवीय संधारित्र कहते है इन्हें परिपथ में किसी भी तरह से इस्तेमाल या संयोजित किया जा सकता है ! जैसे- सेरामिक संधारित्र (Ceramic Capacitor), माइक संधारित्र (Mica Capacitor)

(2) अस्थिर संधारित्र (Variable Capacitor)- इस प्रकार के संधारित्र में स्थिर (Fixed) मान निर्धारित नही होता बल्कि इन्हें परिपथ में Manually मान फिक्स किया जाता है ! अस्थिर संधारित्र की धारिता (Capacitance) को आवश्यकता अनुसार बार -बार बदला जा सकता है !  







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